माँ
इक छोटे से अंकुर को जीवन के सांचे में ढाला,
जीवन की हर पीड़ा सह कर हमको तो नाज़ों से पाला
रात रात भर जाग जाग कर लोरियाँ गाकर हमें सुलाया
जीवन की हर धूप छाँव में, अपने आँचल तले छिपाया
जीवन की हर धूप छाँव में, अपने आँचल तले छिपाया
अच्छे बुरे का गियांन सिखा कर, जीवन का रहिस्य बताया
थाम के उंगली जीवन पथ पर हम सब को चलना सिखलाया
पहला बोल जो बोला हमने,माँ को ही आवाज़ लगाई
पहला क़दम बढ़ाया जब तो ,माँ ने अपनी उंगली थमाई
पहला निवाला मूँह में डाला, माँ के कोमल हाथों ने
ठोकर जब भी खाई हमने, थामा माँ के हाथों ने
ठोकर जब भी खाई हमने, थामा माँ के हाथों ने
कभी डाँट से कभी प्यार से, जीवन से लड़ना सिखलाया
भूखे पेट भी रहकर माँ ने, बच्चों को परवाँन चड़ाया
भूखे पेट भी रहकर माँ ने, बच्चों को परवाँन चड़ाया
ले लेती हर विपता ख़ुद पर, लेकर के बच्चों की बलायें
माँ जैसा ना कोई दूजा , इतना भी हम समझ ना पाएँ
माँ जैसा ना कोई दूजा , इतना भी हम समझ ना पाएँ
बढ़ जातें हैं जीवन में आगे , चाँद लम्हे ना माँ को दे पायें
हमको तो बढ़ना है आगे , बिना लिए ही माँ की दुआएं
हमको तो बढ़ना है आगे , बिना लिए ही माँ की दुआएं
अरे ना भूलो कभी भी यह तुम, माँ के क़दमों में जन्नत है,
ईश्वर का वरदान है माँ, माँ की पूजा में ही सुख है,
ईश्वर का वरदान है माँ, माँ की पूजा में ही सुख है,
सब कुछ मिल जाता है जीवन में, माँ का स्थान ना कोई ले पाए
माँ की ममता का भरा ख़ज़ाना , बिना मोल हर खुशी लुटाए
माँ की ममता का भरा ख़ज़ाना , बिना मोल हर खुशी लुटाए
सूलेखा डोगरा
तिथि : 19.02.2008
तिथि : 19.02.2008